पृष्ठ:बा और बापू.djvu/६

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बापू गुजरात-काठियावाड में एक सुदामापुरी है, जो समुद्र के किनारे बहुत पुराना बदरगाह है । उसी सुदामापुरी मे एक गाधी परिवार रहता था। गुजरात-काठियावाड मे गाधी पसारी को कहते हैं । सो, कभी पुराने जमाने मे यह गाधी-परिवार 'पसारी' का काम करता होगा । पर उस समय-जिसको हम बात कहते है-यह परिवार तीन पीढियो से ही राजकोट मे दीवानगीरी कर रहा था। इसी परिवार मे बापू का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम कर्मचन्द गाधी था । गुजरात मे लोग अपने नाम के साथ पिता का नाम भी लगाते हैं, इसो से बापू अपना नाम 'मोहन- दास कमचद गाधी' लिखा करते थे उनका अपना नाम मोहनदास था। बापू का बचपन सुदामापुरी मे ही बोता। वे सात साल के थे जब पिता केसाथ राजकोट आए। यही वे हाई स्कूल तक पढे । स्कूल मे ये ड्रपू लडके थे, दुबले-पतले और बडे हो डरपोक । खेल-कूद मे इनका मन नहीं लगता था। ये बचपन से हो माता-पिता के बडे भक्त थे, मेहनतो ओर सत्यवादो थे। ये हाई स्कूल मे पढ ही रहे थे, तभी इनका विवाह हो गया। इही दिनो बुरो सगत से इहे मासखाने और बोडो-सिगरेट पोने का चस्का लग गया, पर जल्दी ही छूट भो गया। कभी-कभी यह बोडो-सिगरेट के लिए नौकर के पैसे चुरा लेते थे। एक बार सोना चुराया, पर पीछे पिताजी से क्षमा माग ली।