पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/१६५

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[थाती
 

घड़े में पानी भरा—उसे खींचने लगी। किसी प्रकार खिंचता ही न था। ज्यों-त्यों करके आधी रस्सी खींच पाई थी कि वे सामने से आते हुए दिखाई दिए। कुँआ उनके अहाते के ही अन्दर था और बंगले में जाने का रास्ता भी वहीं से था। सामने से वे आते हुए दिखे, लाज के मारे ज्योहीं मैंने घूँघट सरकाने के लिए एक हाथ से रस्सी छोड़ी, त्योहीं अकेला दुसरा हाथ, पानी से भरे हुए घड़े का वज़न न सम्हाल सका। झटके के साथ रस्सी समेत घड़ा कुँए में जा गिरा। मैं भी गिरते-गिरते बची। एक मिनट में यह सब कुछ हो गया। वे बंगले से कुँए के पास आ चुके थे। मैं बड़ी घबराई, घूँघट-ऊँघट सरकाना तो भूल गई। झुककर कुँए में देखने लगीं। मेरे पास रस्सी और घड़ा निकालने का कोई साधन ही न था; निरुपाय हो कातर दृष्टि से उनकी ओर देखा। मेरी अवस्था पर शायद उन्हें दया आ गई। वे पास आकर बोले—"आप घबराइए नहीं, मैं अभी घड़ा निकलवाए देता हूँ," फिर कुछ रुककर मुस्कराते हुए बोले—"किन्तु अपने यह साबित कर दिया कि आप शहर की एक अल्हड़ लड़की हैं।"

मैं जरा हँसी और अपना घूँघट सरकाने लगी। मुझे

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