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[थाती
 

भी अपनी कहानी सुना सकती हूँ। किन्तु क्या तुम बता सकोगे कि वे कहाँ हैं? मैं एक बार उन्हें और देखना चाहती हूँ। मेरी यह पीड़ा, मेरा यह उन्माद उन्हीं का दिया हुआ तो है। यदि कोई सहृदय उनका पता बता दे तो मैं उनकी थाती उन्हीं को सौंप दूँ।

 

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