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पृष्ठ:बिरजा.djvu/१५

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और उसको दो पुत्र सन्तान भी हुये थे। गोविन्द की माता नाम मात्र को गृहिणी (घर की स्वामिनी) थी, घर का काम काज सब वडी वह केहो हाथ में था। गंगाधर की पत्नी और बिरजा की एकही अवस्था थी। अर्थात् गंगाधर की पत्नी की वयस दस वर्ष मात्र थी नाम नवीनमणि था।

इस वयस में वालिका स्वामी के घर नहीं जाती हैं किन्तु नवीन के माता पिता दोनों की संक्रामिक ज्वर में मृत्यु होने से उसको यहां ले आये थे।

बिरजा इस घर में आय कर रहने लगी, वह अपने स्वभाव गुण से सब की प्रियपात्र बन गई. विशेषतः छोटी वह नवीन के संग उस्की अत्यन्त प्रीति बढ़ गई, वह दोनों एक संग स्नान करती थी, एक संग खेला करती थीं।

एक दिन गृहिणी आहारान्त में खाट बिछाकर आँगन में सो रही है, बिरजा से माथा देखने को कहा वह सिरहाँने बैठी माथा देख रही है इस समय गृहिणी ने बिरजा से नौका डूबने का वृत्तान्त वर्णन करने का अनुरोध किया।

बिरजा वालक थी, नवीन के संग खेल में मत्त रहा करती थी, सुतराम् वह सब विषय एक प्रकार भूल गई थी अब वह सब बातें उसे स्मरण हो आई, उसकी आंखों से जल गिरने लगा। गृहिणी ने काहा 'अब क्या भय है?