पृष्ठ:बिरजा.djvu/३९

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घर में सामान्य परिचारिका की भांति नहीं रहती थी, शिवनाथ बाबू की दो कन्याओं को शिक्षा देना बिरजा का कर्तव्य कर्म था

पुन: पुन: धर्मपरिवर्तन से शिक्षित समाज में शिवनाथ बाबू का नाम प्रसिद्ध हो गया था। हम पहिले जिन बाबू की बात कहते थे, गोबर गोली निवन्धन न्याय से उन्होंने भी शिवनाथ वाबू का नाम सुना था।

रात्रि के दस बजे के पीछे शिवनाथ बाबू के द्वारपाल ने ऊपर जाय कर यह सम्वाद दिया कि एक बाबू आपके संग साक्षात् करने आये हैं। शिवनाथ बाबू उस समय आहारादि करके सर वाल्टर स्काट की "आईवान होप" नामक आख्यायिका का पाठ और उसका अर्थ अपनी पत्नी को समझा रहे थे, और इस पुस्तक के किस किस चित्र के साथ बंगला उपन्यास विशेष के किस २ चित्र का सादृश्य है, यह भी बता रहे थे। भगवती जैसे महादेवजी के मुख से अनन्यमना होकर योगकथा श्रवण करती थी, पतिप्राणा कात्यायनी भी कार्पट बुनते बुनते वैसे ही सुन रही थी। द्वारपाल के सम्वाद देने से शिवनाथ बाबू नीचे आये। नीचे की बैठक में आगन्तुक बाबू बैठे थे, शिवनाथ बाबू भी वहां जाय कर बैठे। आगन्तुक बाबू ने पूछा "आपका नाम शिवनाथ बाबू है?"। .