पृष्ठ:बिरजा.djvu/४१

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रजा को हम संहंसा तो विदा नहीं कर सकते हैं। बिरजा हमारी कन्या के सदृश है, आप हमारे जामाता हैं। जैसे कन्या को विदा करते है वैसे हम बिरजा को विदा करेंगे।

आ०—आपने जो सम्पर्क गेरा है, मैं इसमें कुछ अधिक नहीं कह सका। केवल इतना ही कहा चाहता हूँ कि क्या आज मैं एक बार बिरजा के संग साक्षात् नहीं कर सकता?

शि०—अवश्य कर सकते हो, आप यहां बैठे में घर में यह समाचार कह आँऊ।

यह कहकर उन्होंने अन्तःपुर में जाय कर पत्नी से सब कहा, पत्नी ने बिरजा को बुलाय कर पूछा 'बिरजे! विपिनबिहारी चक्रवर्ती को तुम पहचानती हो?' बिरजा घबराय उठी। आनन्द और विस्मय ने बिरजा को पराभूत किया। क्षण एक काल स्तम्भित के न्याय रहकर बिरजा ने उत्तर दिया 'मेरे स्वामी का यह नाम है।'

प०—तुम उन्हें देखकर अब पहिचान सकोगी?

‘पहचान सकूंगी' कहकर बिरजा ने रोय दिया।

'मैं उन्हें ऊपर लिये आता हूँ' कहकर शिवनाथ बाबू नीचे गये।

गृहिणी ने बिरजा से कहा, वह तुम्हारे साथ साक्षात् करने आते हैं।