पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७६ विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। लाला तिनके आठऊ कह नौ विविध विधान ॥ चौ. प्रथम भैरवी गावत लोई । ताके परेबिलावल होई ॥ कहिदे साप बहुरिअस लेख । बंगावली पंचतिय देख ॥ दो. ललित विभासा पूरिआ मधुमाधव तिहिठान । कहिभूपाली अल्हैया सहित सुहेलाजान॥ दूजे गावत गुणीजन मालकौस्तुभराग। उपजै न ताके सुनेते नरनारी अनुराग ॥ धनाश्री युवश्री कहि जैतश्रीतिनगाय। मालरूप दौना श्री तियापांच ठहराय ॥ सो. मारुसूर गंधार बखान धाराधर बड़हंसैजान। गौरिगिरीटोड़ी पुनिगावै रामकली गुन करी बतावै।। दो पुनिहिंडोला गावत सुजन तीक्ष्णताकी तान। सुनतहोत हीयती यतीग्रेह रतिवान ॥ चंदवि. मंगलाकहि परमानंद हमीर । कहि हिंडोल की कामिनी स्यों तेलंगीवीर ।। चौ शिशिर वसंत अहीरी कही। देखगिरी तितपरले कही। भरज अरजके मोद बखान । काफी सहित तियापै जान ।। दो० कह तू दीपक रागकी प्रथमगूजरी जोय । कावेरी पटमंजरी पंचकनाहीं होय ॥ चौ० कामोदी कुंतल पुनि गावै। कमल कुसुम कल्यानवतावै गौर सारंगसोहनी जान । मालासहित पाठानिठान ॥ दो० श्रीराग के संगकहि गौरी पटरानीय । करनाटी आशावरी सारंगगोधन तानीय ।। चौ० कुकुंभ गौरगंभीर विशेख । कुंभसाददा सोरठलेख ॥ कहियतु ईमनपुनि के नीर। येसुत सिरीराग के बीर ।। दो० पुनिनृप मेघ बखानिये बालामेघ मराल । आसगुनी गुनीगुनफुन फुनीशायथ धूरियधार।। चौ• पुनिताके सुत आठबखान । केदारो विहागरोठान ।