पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/२

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इस मतबे में जितने प्रकारकी काव्यकी पुस्तके छपी हैं उनमें से कुछ नीचे लिखी जाती हैं। नवीनसंग्रह जिसमें भक्तभयहारी कुंजविहारी रसिकशिरोमणि श्री कृष्ण. चन्द्र और श्रीराधिकाजीके लीलाविषयक नानाप्रकारके अत्युत्तम कबित्त और सवैयादि बर्णितहैं जिसको हफ़ीजुल्लाहखसिांडीनि- वासि मुदर्रिस मदर्सा मौजा बन्नापुर परगनै बंगर थाना बघौली स्टेशन जिला हरदोई ने अपने शौक़ीन दोस्तोंके दिलबहलाने के निमित्त अति परिश्रमसे संग्रह किया। षट्ऋतुकाब्यसंग्रह हफ़ीजुल्लाहवां संग्रहीत जिसमें बसन्त, ग्रीष्म, बर्षा, शरद हेमन्त, शिशिर छो ऋतुओं के कबित्त व सवैया ऐसे २ अत्युत्तम लहलहे रँगीले परमचुहचहे रसीले, अपने रसिकमित्रों व रंगीन तबीयतवाले महाशयों के चित्तबिनोदार्थ बड़े परिश्रमसे छांट २ कर लिखेगये हैं। प्रेमतरङ्गिणी मुंशीहफीजुल्लाहखां संग्रहीत इसमें चित्रबिचित्र सामयिक देवपक्ष व प्रत्येक ऋतुओं के कवित्त सवैया हरएक कबिके बना- ये हुये संग्रह किये गयेहैं इसकी उत्तमता देखनेही से मालूम होती है। हफ़ीजुल्लाहखां का हजारा इसमें नानाप्रकार के बहुतही उत्तम २ सब २१८४ कवित्त लिखेगये हैं स्थान २ पर तसवीरें भी बनी हैं ऐसा ग्रंथ कवित्तों का संग्रह कियाहुमा प्राजतक देखनेमेंनहीं आया उत्तमता देखने में प्रकट होगी रसिकपरुषों के लिये अत्यन्त मानन्दकारी है।