पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/३४

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विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। मदन भयोदिज माधवा कामइला जोय । वारों तिनके इश्कपर योगी भोगी दोय ॥ (सुभान वाच्य ) कागुनाह रतिनाह सों नाहभयो उहिवेक । सो कहिये लहिकामजा पायो सजाअनेक ।। (बिरहीवाच्य) चौ०।सुनसभानयारादिलदायक ।माधोकथा न कथवेलायक॥ दुर्घट बिरहयार को पावै । बूड़तउछलत तनुगलिजावै ।। विठुरनहोय मीतसों सोई । ऐसी कथा न कहिये कोई ।। मोहिं तोहिं बिछुरनपरजैहै । कथनी कौनकाम यह ऐहै । ( सुभानवाच्य) अहेमीत ऐसीनहिं भाखौ । कथिकै कथानखण्डितराखौ ॥ जीवन मरण उचित वे दोऊ । प्रेमकथन चूकौ मतिकोऊ ॥ दो० । जानत करवल हाथवह बिनामौत की नेत । तदपिसनेही रागको पीठकुरंग न देत॥ इतिश्रीविरहवारीशमाधवानल कामकन्दलाचरित्रभाषाविरही सुभानसम्बादेशापखण्डेमंगलाचरणप्रथमस्तरंगः ॥ १॥ (दूसरातरंग) (इश्ककारंजानाम ) ॥ अथ अगलावखण्ड बिरहीवचन ।। चौ । सनसुभान अवकथासुहाई । कालिदासबहुरुचिसहगाई॥ सिंहासनबत्तीसी माहीं । पुतरिन कहीभोजनृप पाहीं । पिंगलकहँ बैतालसुनाई । बोधा खेतसिंहसहगाई ॥ रुचिरकथासुनहे दिलमाहिर ।इश्कहकीकीहै जगजाहिर।। दो । सुनसुभान वृषभानकी सुताहेत ब्रजराज । धरयो देहवसुदेवके गेह नेहतिहिकान-॥ गोकुल बसिधरमहरिके कीन्हेनि असुरानिपात । गावत वेदपुराण सो कथालोक विख्यात ॥ (छन्दचौपैया) बजमेंबसबजनन्दधर कुंजनधेनुचराइविसिकररूप अवसिकर