पृष्ठ:बिल्लेसुर बकरिहा.djvu/७०

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कुकुरमुत्ता

निरालाजी का निरालापन जितना इस संग्रह में झलकता है उतना और कहीं नहीं। इसकी भाषा में एक अनोखा चटपटापन है, जो निरालाजी के लिए भी नया है। जिन लोगों को शिकायत रही है कि निरालाजी कठिन कविता लिखते हैं, वे एक बार कुकुरमुत्ता की सादगी भी देखें। इन कविताओं की हिन्दी मे इतनी चर्चा हो चुकी है कि उनके बारे में लिखना सूर्य को दीपक दिखाना है। मूल्य॥⇗)

अणिमा

श्री निराला जी हिन्दी-संसार में भाषा और भावों में नये नये प्रयोगों के करने के लिए प्रसिद्ध है। इस संग्रह में अनामिका के बाद के उनके सभी सुन्दर गीत और कविताएँ संग्रहीत हैं। निराला जी के साहिय को समझने के लिए हिन्दी के प्रत्येक पाठक को एक प्रति इस काव्य-संग्रह की अपने पास अवश्य रखनी चाहिए। मूल्य १।)

भारतेन्दु-युग
लेखक––डा॰ रामविलास शर्मा, एम्॰ ए॰, पी-एच॰ डी॰

भारतेन्दु-युग से ही आधुनिक हिन्दी भाषा और साहित्य का आरम्भ होता है। यह युग कितना सजीव और चेतन था, इसको बहुत कम लोग जानते हैं। इस पुस्तक में उस युग के पत्र-साहित्य, नाटक, उपन्यास, निबन्ध रचना, भाषण, भाषा सम्बन्धी प्रचार आदि का विस्तृत विवेचन किया गया है। भारतेन्दु-युग का ऐतिहासिक महत्व ही नहीं है, उससे आज के लेखकों को विशेष प्रेरणा मिलेगी। पुस्तक की शैली अत्यन्त रोचक हैं। मूल्य २)

विहाग
लेखिका––श्रीमती सुमित्राकुमारी सिनहा

श्री सुमित्राकुमारीजी सिनहा की कविताओं का हिन्दी-संसार में यथेष्ट आदर और सम्मान का प्रमाण यही है कि अखिल भारतीय हिन्दी-साहित्यसम्मेलन ने उनके विहाग नामक काव्य-संग्रह को सर्वश्रेष्ठ ठहराकर ५००)