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बिहारी-रत्नाकर


१८६ बिहारी-रत्नाकर नहिँ पावसु, ऋतुराजु यह तजि, तरवर, चित-भूल है। अपतु भएँ बिनु पाइहै क्याँ नव दल, फल, फूल ॥ ४७४ ॥ ( अवतरण )—केाई कि राजा से लाभ उठाने की आकांक्षा करने वाले से, वृक्ष पर अन्योक्ति कर के, कहता है कि सामान्य पुरुष ले लेग के सजे ही मैं लाभ पहुँच सकता है, पर किसी राजा से लाभ उठाने के निमित्त बाट उठाना तथा निरादर सहना पड़ता है| ( अर्थ )-हे तरुवर (श्रेष्ठ वृक्ष ), यह पावस ( सामान्य वर्षा ऋतु ) नहीं है, [ प्रत्युत ] यह [ ते ] ऋतुराज ( ऋतुओं का राजा वसंत ) है, [ अतः तू अपने] चित्त की [ यह ] भूल ! कि इससे भी पावस की भाँति सहज ही में प्राप्ति हो जायगी ] तज दे । [इससे ] विना अपत ( पत्रशून्य, निर्लज, मन-रहित ) हुए [ तू ] क्योंकर नए दल ( कोंपल ), फल [ तथा ] फूल ( अर्थात् वस्त्र, भोजन तथा अन्य सुख-सामग्री ) पाएगा ॥ बन-चाटनु पिक-वटपर लखि विरहिनु मत मैं नैं। कुही कुही कहि कहि उॐ, करि करि रात नैन । ४७५ ।। पिक = कोकिल ॥ वटपरा= डाकू । मत-यही इस शब्द का अर्थ ज्ञान, बोध, चेतना है । कुहौ कुहौ-ह काकिल के कूकने का अनुकरण शब्द है । इसका अर्थ यहां मारो मारो भी लिया गया है । 'कुष' थातु का अर्थ फाड़ना, मर्दन करना होता है । इसी से फ़ारसी शब्द 'कुश्तन' बना है, जिसका अर्थ मार डालना है ॥ राते ( रक्त ) = खाल । ( अवतरण )–नायक विदेश जाने पर उद्यत है । नायिका तथा उसकी सखियाँ उसे जाने से रोकने के निमित्त कहती हैं कि इस वसंत ऋतु मैं जाना बड़ा भयावह है| ( अर्थ )-[ वसंत ऋतु में विदेश-गमन उचित नहीं है, क्योंकि ) वन के माग में कोकिल-रूपी डाकू विरहियों को [ अपने ] मत ( चेतना ) में न देख कर ( अर्थात् विरह-दुःख से चेतना-रहित पा कर ), [ अपनी ] आँखें लाल कर कर के, [ और ] कुहौ कुहौ ( मारेर मारो ) कह कह र [चा अर से ] उठते है ( आक्रमण करने पर उद्यत हो जाते हैं ) ॥ डाकू की रीति है कि अंगों में वे पथिक के साथ साथ छिप कर चले जाते हैं, और जव उसको असावधान पाते हैं, तो मार मार ५६ कर उस पर टूट पड़ते हैं ।। -- * --- दिस दिसि कुसुमित देखिंयत उपवन-बिपिन-समाज । मर्भहूँ थियोगिनु क कियौ सर-पंजर रितुराज ।। ४७६ ॥ सार-पंजर ( शर-पंजर ) = बाण का पिंजड़ा । बड़े बड़े अपराधियों को देह-दंड देने के निमित्त १. पार ( १ ), पाइयै ( ३, ५) । २. बिरहनि ( २, ३, ५ ), बिरहिनि (४) । ३. मनु ( २ ), मन ( ३, ५ ) । ४. में न ( ३, ५ ), मैन ( ४ ) । ५. कुहू कुहू ( ३ ), कहुँ कहूँ ( ५ ) । ६. रातें ( १ ) । ७. देखियें ( २ ) । ८. मनौ ( २ )।