पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३४८

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चमक तमक अटक न छड़तु घाम घरी चकी जकी सी घरु घरु डोलत घन-घेरा | घर घर तुरकिनि गई न गोरी छिगुनी। गोरी गदकारी गोपिनु सँग गोपिनु के गोधन, तें गोप अथाइनु गुनी गुन गिरै कंपि गाढ़ ठाढ़ गिरि ते ऊँचे गह अबोलौ गहिला, गरवु गहकि, गाँसु गली अंधेरी गनती गनिमें गदराने तन को [ च ] [ 9 ] दोहों की अकारादि सुची ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ मानसिंह की टीका ६ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ६ = |विहारी-रत्नाकर उपस्करण --१ | ३७ । ३७७ ५६.१ ६७ ३१३३१३ २१३ , ४४२ । ३६६ ३६० ६४२ ३५१ : ३५१ २५१ २५१ ६६५ ६ । ४६१ : ४६२ : १२ ६३३ ६३३ ५५६ ५५ ' ५२ ५५ ६८०

६६६६१९ ६५६ ४९८ ५१२ ५३ ६५३ । २५३ २६३,३६७, २५१ २१ ६७५ : २७५ { ४३७ ५३१४३१ | टीका

  • * * * * * * ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

हैं !

  • * * * * * * * * * * * * * * * | हरिप्रकाश-टीका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | लाल-चंद्रका * * * * * * * * * * * * * * * * ऋगार-सप्तशः

| ५८४ ६७६ की टीका ० ० ० ० ० ० ० ० ० ६ ६ ६ ६ ६ ० ० ० ६ ० ० ० ० । रस-कौमुदी