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पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३५४

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दियौ तु पिय | दियौ अरघु दिन दस दच्छिन पिय थोरै हाँ गुन थाकी जतन त्रिवली नाभि त्यौं त्यों प्यासे तौ लगु या मन तौ बलियै तौ अनेक तो ही कौ छुटि तोही निरमोही तो लखि मो मन तो रस-राँच्यो ते पर वारी तो तन अवधि तेह-तरेरौ ६ रहि, हाँ हाँ हूँ मोहन-मन हूँ मति माने तुहूँ कहति तुरत सुरत | [थ] [३] दोहों की अकारादि सूची । ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ मानसिंह कीटका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | बिहारी-रत्नाकर उपस्करण कृष्ण कवि की । टीका २५८ | ४४० ।।

  • ॐ ॐ ॐ * * * * ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ * * ॐ ३६८ २४8 | २८६ ६५८ २८६ । ५४८ ४११ | ४५६ ६९ ३४० | २८१ ३२४ | ३१६, ३३३ २३२ ३५० ८ । ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ हैं है है * * * | हरिप्रकाश टीका * * * * * * * * * * * * * * * * | लाल-चंद्रिका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | शृंगार-समशती प्रभुदयालु पाँडे को का।

  • ० ० ० ० * * ० ६ ६ ६ ६ ६ ० ० ० ० | रसकोमुदी

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