पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

विहारी-रत्नाकर दोहों की अकरादि सूची कृष्ण कवि की टोको

  • * ० * ० ० * ० | रस-कौमुदी

दियौ, सु सस | दिसि दिमि कुसुमिन दीप-उजेरे दीग्ध सॉस दुखाइनु दुचितं चित दुग्न न कुच दुर न निघग्घट्यो दुसह दुराज दुसह विरह दुसह सोति दृरि भजते दृग्या खरे दृग उरकत | दृग थिर है दृगनु लगत दृग मिहनत देखत कछु देखत बुरे देखी से न जु । देखो' जागत । देण्यी अनदेख्यौ देवर-फूल-हने | देह दुलहिया | देह-लग्यौ ५१ ५१ | ६२० ५६२ ५९२ | २६ २४४ २६४ २६४ | ६५९ २२६ ३४६ । १८ १८ ! २२६ : ११४ ! ४६६ ५१३ ४०२ : ४८२ ३७२ । ४६५ १३ ३५७ | ३५७६९९ ६३२ ६०५ ६६६६६६ ४२८ ४८५ ६६३ । ३८२ ६०० ६०० ३२२ १६४ ११२ : १११ ४२८ | ४२ ६४४ | ६८८ ६७४६६६ | ६३८ । ६३८ | ६३८ १६८ ७७ ६४ : ५५ ३६३ । ३६३ | ६३२ १६२ | २७३ : २७० | ६२७ १४२ | ६६२ : ६६२' ५०० ६०६ ५४२ | ५३३ ! ४६५ । ३४६ ३४९ ११२ ५७ ४६२ ४७३ ! १०६ १९८ २०० ५१६ ! ३५१ २१३ । २०८ ६३४ | ६३४. १२० २७० ४२ ४४ । ६० | १ ४६९ २६४ २६७ । २६३ ३३० ३३० ७२ १३२ ! ५१७४३७ ४२२ ४२३ १०२१२ । ३४४ | ३३४ ८७ ६१८, ६१८ | १०६ १६८ ४४ ४७ १०४ ० ० ० ० ० ० ० * * * * * * • • • ४०, ४० १५ | ३० | २५ ! २६ १५ ४६६ ४६७ ६६० | २२० | ३२० | ३१२ | ६५४