पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३५९

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प्रेम अडोलु प्रीतम-दृग प्रानप्रिया हिय प्रलय-करन प्रतिबिंबित प्रजखौ आगि प्रगट भए प्यासे दुपहर पूस-मास सुनि पूर्छ क्यों रुखी पीठि दिये हीं पिय-मन रुचि पिय-विठुरन पिय-प्राननु की पिय तिय सी पिय के ध्यान पावक सौ पावस-घन-अँधियार पावकः-झर नै पायौ सोरु पाइल पाई। पाइ महावरु पाइ तरुनिच पहुला-हारु पहुँचति डटि देहों की अकागदि सूची ४२ ३६७ १४६ ६८१ ३५० ६४० १५ ४८६ ३५ ३४८ का ५२६ १६८ | ५५३ | ५५ १०१ । ५

  • * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * मानसिंह की टीका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ हैं | बिहारी-रत्नाकर

२६७ २३७ | ५८५ | १२६ बिहारी-रत्नाकर कृष्ण कवि की टीका ७ ४८६ । ४६७ ।।

  • * * * * * * ० हैं । ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ३ | हरिप्रकाश-टीका ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६* * * ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | लाल-चंद्रिका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | शृंगार-सतशती

० ॐ ॐ ० ० ० ० ० * ० ६ ० ० ० ० * * * ० * * ० ० ० | रस-कौमुदी