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पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३६३

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विहारत्नाकर टीका दोहों की अकारादि । गरी-रत्नाकर टीका की टीका ४ मकराकृति गोपाल मन न धरति मनमोहन से मनु न मनावन मरकत-भाजन-सलिल मरतु प्यास ४१४ ४५४ | २६ १८६ ५ ४३५ मरनु भले मरिचे का मरी उरी मलिन देई मानहु बिधि मानहु मुंह-दिवरावनी मानु करत मानु तमासी मार-सुमार करी मायौ मनुहारिनु मिलि चंदनवदी मिलि चलि मिलि पर छह मिलि बिहरत मिसि ही मिसि मीत, ने नीति मुख़ उघारि मुँह मिठासु मुँहु धोवति ॐ ॐ ॐ ॐ | विहारी-रत्नाकर * * * * * * ६ ६ । ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ मानासंह की टीका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | लाल-चंद्रिका * . ! शृंगार-सप्तशती

  • * * * * * * * * * * * * * * * * * हरिप्रकाश-टोका * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * 2 * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *

० ० ० ० ० * ० * * : * • • * * * * * * * * * * * ० | रस-कौमुदी ६७३ ३७३ । ३६१ ! ४३५ ३६४ ५६६ ! ५३९५२४ । ३५८ ३८ ! ३०८ ४४० ५३३ : ३८८ ४६८ ४६८ ! ६१ ४६६, ४३६ १८१ १८० | ५२२ ४५' ४५० ४६१ : ५१६ ६२४६६५४३३ : ४८४ १३६ १३० ४१६ ६७४ ६७४ | ३१३ : १८ १६४ : ११ ३०० ४९७ ४६७ | ५५८ ५८२ ' ५८० ५७३ | १४२ ५३१ | ५३१ | ४६६ ३२० : १६३ । १६० : ४८ ४७७ | ४८१ | ६८१६४६ ६०४ : ५९६ : ६७५ ६३९ ६३६ | ५८२ ३५५ २१५ २६५ : ४६६ ३२३ ३३३ ३८६ : ४६७ । २०४ २८० ३९६० | ६६७ ६६७ | ५०६ ६०३ : ५२ ६१ ५०० ०