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पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३६४

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उपस्करण-१ दोहाँ की अकारादि सूची कृष्ण कवि के टीका काटाका ॐ ॐ ॐ मानसिंह की टीका ॐ ॐ ॐ | विहारी-रत्नाकर ॐ ॐ ॐ हरिप्रकाश-टीका * * * | लाल-चंद्रिका * * * | शृंगार-सप्तशती ० ० | रस-कौमुदी ४६८ { ४३६ | ४५१ ! ६७० ६४

। ८३ ६८१६६५ | ४१४ | १६३ ६६ ६६ : १४५ | ६७४ | २३६ २५६ २५६ ३४५ | १६० | ५४० ६४२ ६४२ : ६६५ | ::४ | ३१४ ४७०, ४७० १७० | १३ | ५४ मुँहु पखारि मुड़ चढ़ाएऊँ मृगनैनी दृग मेरी भव-बाशा मेर बुझत बात मं तपाइ में नासा में वरजी में मिसहा सायौ म यह तोह में में लखि नारी-ज्ञानु में लै दयौ में समुभयो में हो जान्यो मोरचंद्रिका मोर मुकट मोस मिलवति मोहन-मूरति मोहिं करत मोहि तुम्हें मोहिँ दयौ मोहिं भरोसौ मोहि लजावत मोहूँ दीजै। मोहूँ सौं तजि ५३५ ५३५ | ४७३ | २५: । ३०२ ६६८ ४६६ ! ६.८ । १६२ १८१ १२४ १६८१ | ६६६ ६६१ ६१६० ६४ ६४ : १८६ : १८५ | ६५७६५५ १०६ २१ '६७६ : ६७६ : १८६ ६८ | ६६८ : २६ ६८८ : २१८ । ४१६ ४१६५६६ १० | ३ ३ ५६३ । । ५०८ | ५०८३०६ ३७६ | ८६, ७६ ३०१ २४१ ! १६१ १६१६३० ३ ६६४ ६५९ ६२५ । ० । ५७६ ५७६ | ३८८ ४१८ | ११ १२ ३. ३ ० || ४२६ | ४२७ | ५७७ ' ७०४ | ६६४ । ६८८' ८७१।० । ८३ ८३ | ३६५ ४६५ | १८५ १६६ : ३६० १६१ ६८२ ६८२ । ६५ । ३८६ | ३३९ ३२९६४ : ५६ ५६६ : ५६६ | ४१२ | ४६० | १०१ १२८ । १८५; १६२ | ६१६ | २६१ ५७६ : ५०० ७०१ । ६६५ : ५५३ : ० । ७७ | ७७ १२६ | १८७ | २६६२६३ ! २ ०