पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/४०

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विहारीसत्सई की व्याख्याओं का संक्षिप्त निरूपण ।।

    • पौत्रश्चैष मुकुन्दभट्टविदुषः श्रान्तश्चिरं संस्कृते,

पुत्रः श्रीब्रजचन्द्रशम्र्मसुधियः प्रीत्या मेहत्याऽतनोत् ।। . दोहासप्तशतीं समर्चितगुणे बुन्देलवंश्याधिपैः । शय्यां प्राप्य विहायभिख्यकृतिनो भाषाभृतायाःकृतेः ॥” शरदृङ्नवचन्द्रेयुते वैक्रमाङ्कगणनेन । चैत्रकृष्णविष्णोस्तिथ पूर्ण कृतिः सुखेन ।” निदर्शन के लिये इनकी कतिपय कविता दिखलाई जाती हैं, मेरी भववाधा हरो राधा नागरि सोय । जातन की झाँई परै श्याम हरित दुति होय ॥ १ ॥ अपनय भववाधाभयं राधे त्वं कुशलासि ।। हरिराप धरात हरिद्युतिं यदि माधवमुपयासि ॥ १ ॥ सीसमुकुट कटिकाछनी करमुरली उरमाल ।। यह वानिक मो मन चसौ सदा बिहारीलाल ।। १ । मस्तकमण्डितमुकुटवर हृदयलसितवनमाले । मम हृदये वस कटिरसन मरलीधर गोपाल ॥ २ ॥ कहीं २ इनकी कविता में छन्दोवैशम्य पड़जाता है जैसे- लाक्षारुणमपराचरणंवीक्ष्य मनास कुपितेव ।। तथाभूतमपि हरिकर सा जज्बाल रुपैव ॥ ४२ ॥ . मुखगोपनकपटेन मामुदर नाभिललाम ।. दिदर्शवपुः सा रमणी सख्या समं जगाम ॥ ४३ ॥ सावी | गद्य ।। | ( ४ ) जुल्फकारकृत सुभई टीका:--इस ग्रन्थ के रचयिता प्रायः वही हैं जो जुल्फकार वां अमी- रुन्न 'उमरा नमरत जंग नाम से प्रसिद्ध है इनका जन्म सन् १६५७ श्रीर मरण सन् २०१६ में हुअर वा ।।

  • ये द हुने छ । पुराने टोकाकार हैं। ये पांच वर्ष के थे तब विहारीमा म यो धो । पादशाह फर्रुखसियर

में किम जुन्कार में लाई हुई थी कदाचित् वै वही जुल्फकार थे । इनका इतिहस यी ४ ( भा

  • रतदीय इतिहास ।