पृष्ठ:बीजक.djvu/१५

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विषय. पृष्ठ. ६ ० (१२) बीजककी-अनुक्रमणिका । | पृष्ठ. | विषय. । मैरोऊँ सब जनव को .... ५९४ | जौ लागि ड्रोला त लागि बोला ६०१ साहेब साहेब सब कहें ... ५९४ | सबकी उतपत्ती धरणि में ... ६०१ जिव बिन जिव बांचे नहीं ५९४ धर्ती जानत आपगुण .... ६०१ हमतो सवही की कही .... जहिया किरतिम ना हता ... ६०२ प्रकट कहाँ तो मारिया .... अँह बोल अक्षर नहि आयादेश विदेशन हैं फिरा। आया ••• ••• ६०२ कलि खोटा जग आंधरा .... ५९६ नौ लो तारा जगमगै ... ६०२ मसि कागज छूव नहीं ... नाम न जाने ग्रामको ... ६०३ फहमैं आगे फहमैं पीछे ... हद्द चले सो मानवा ... संगति कीने साधु की ... ६०३ समुझे की गति एक है ... संगात से सुख उपजे । * राह बिचारी क्या करे .... ५९७ जैसी लागी ओरकी मुआ है मार जाहुगे बिन शिर आज काल दिन एक में .... ६०३ | थोथा भाल* ... ... ५९८ | करु बहियाँ बल आपनी .... ६०३ बोले हमारी पूर्व की ... ५९८ | बहु वन्धन से बांधिया । नेहि चलतरवदे परा ... ५९८ | जीव मत मारहु बापुरा ... ६०४ पायन पुहुमी नापते .... ५९९ | जीव घात ना कीजिये ... ६०४ नव मन दूध बटोर के ... १९९ | तीरथ गये सो तान जन केत्यो मनावें पावपरी .... ६०० | तीरथ गये ते बहि मुये। मानुष तेरा गुण बड़ा .... ६०१ | तीरथ भै बिष बेलरी ... ६०५ नो मोहि जानै ताहि मैं जानौं । लोक | हे गुणवंती बेलरी •••••• ६७५ वेदका कहा न मानों । * बेल कुढंगी फल बुरो ... * नोट-यह साखी इस टीकामें छोड पानी ते अति पातला .. ६०६ सतगुरु वचन सुनो हो संतो ६०६ | मुआ है मारे बाहुगे मुये की बाजा | ऐकरुआई बेलरी ... ... ६०६ ढोल ।। सिद्ध भया तो क्या भया * सुपन सनेही नग भया, सहि दानी | परदे पानी ढारिया ... ... ६०६ रहिगो बोल ॥

  • इस पुस्तकमें यह साखी छोड दीहै ।

w ० w ० w ... ० सुर्य •• ६०६