पृष्ठ:बीजक.djvu/१४

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५७९ जिये ... बीजककी-अनुक्रमणिका । ( ११) विषय. | पृष्ठ. | विषय. चौ गोड़ा के देखते... ... ५७६ | जाना नहीं बूझो नहीं ... ५८५ तीन लोक चोरी भई ... ५७६ जाको गुरू है आंधरा ... ५८५ चंकी चलती देखिके ... ५७७ मानस केरी अथाइया ... ५८५ चार चोर चोरी चले .... ५७७ चारमास घन वरासया ... ५८५ बलिहारी वहि दूध की .... ५७८ गुरु के भेला जिव डरै काया बलिहारी तेहि पुरुष की .... ५७८ छीजनहा .... ... ५८६ विषके विरवे घर किया ... ५७८ तन संशय मन सोनहा ... ५८६ नोई घर है सर्पको ... .... शाहुचोर चीन्हें नहीं.... ... ५८६ घुघुची भर जो बोइया * .... गुरु सिकलीगर कीजिये ५७९ मनभर के बोये कवौं .... मूरखको समुझावते... ... आपा तो हरि भजो मूढ कर्मिया मानवा... .. ५८७ पक्षा पक्षी कारने ....... सेमर केरा सूवना ... .... ५८७ मांया त्यागे क्या भ्या... सेमर सुवना वेगितजु ५८८ घुची भर जो वोइया ... सेमर सुवना सेइया ...... ५८८ बडेते गये बडापने....... लोग भरोसे कौनके... ... मायाकी झक जगजरै समुझि बूझ जड़ होइरहे ... ५८९ मायाजग सपिन भई .... हीरा वही सराहिये ... ... ५८९ सांप बीछिको मंत्र है। | हरि हीरा जन जौहरी •.. ५८२ तामस केरे तीन गुण हीरा तहां न खोलिये मनमतंग गैयर हने... | हीरा परा वजार में... ... मन गयंद मानै नहीं। हीराकी ओबरी नहीं .... या माया है चूहरी ... ... ५८३ अपने अपने शीश की ... कनक कामिनी देखिके .... ५८३ हाड़ जरें जस लाकड़ी । ... ५९२ घाट भुलाना बाट बिन .... ५९२ मायाके वश सब परे ... मूरख सो क्या बोलिये पीपर एक जो मंहगेमान ५८४ | जैसे गोळि गुमज की ... शाहू ते भौ चोरवा .... .... ५८४ | ऊपर की दोऊ गई। साकी पूरी क्यों परे... ... ५८४ | केते दिन ऐसे गये .... | ••• ५८८ ... ५९० चालय ५९० س س ५९१ ५९२ ३