पृष्ठ:बीजक.djvu/१७

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पृष्ठ. | m or ñ ६ ñ ६ w ž ६३४ { १४) बीजककी-अनुक्रमणिका । विषय. | पृष्ठ. | विषय. बोली एक अमोलहै ........ ६२५ | दृष्टिहि माँहिं विचार है ... ६३१ करबहियां बल आफ्नो * जब लगोला तब लग बोला ६३२ वोइतो वैसही भया........ ६२६ | करु बन्दगी विवेक की ... ६३२ नोमतवारे राम के * सुरनर मुनि और देवता ... ६३२ साधू होना चाहहु जो ... ६२६ जौलग दिलपर दिल नहीं ... ६३२ यंत्र बजावत हैं सुना सिंहैं केरी खोलरी ... ... ६३३ जो तुम चाहो मुझको ... ६३३ ज्यहिखोजत कल्पौगया साधु भया तो क्या भयो ... ६३३ दश बारेका पीजरा...। हंसाके घट भीतरे ... ... ६३३ रामहि सुमरहिं रण भिरे ••• ६२७ | मधुर वचन है औषधि ... ६३४ खेत भला बीजो भला ... ई जगतो जहडे गया। गुरु सीढी ते ऊतरे ... ६२७ दाढसदेखमरजीवको। .... ६३४ आमि नो लागी समुद्रमें ... ६२८ | ऐ मरजीवा अमृत पीवा ... ६३५ नो मोहि जाने त्यहि मैं जान ६२८ | के तेबुन्दहलफेगये ... ... मौनं मिला सो गुरु मिला ६२८ | आगि जो लगी समुदमें .... जहं गाँहक तहँ हौं नहीं ... ६२९ | साँचे शाप न लागई... शब्द हमारा आदिका .... ६२९ | पूरा साहब सेइये ... नग पषान जग सकळहै ... ६२९ जाहु वैद्य घर आपने । ताहि न कहिये पारखी ... औरन के समु झावते सारि दुनिया विनशती ३० ! मैं चितवत हैं। तोहिको सपने सोया मानवा... ... ६३० | तकत तकावत तकिरहे ... नष्टेका यह राज्य है .... ६३१ | जस कथनी तस करनाजे ... ६३७ दृष्टमान सब चीनशै... ... ६३१ | अपनी कहै मेरी सुने ... ६३७ १ इस साखी तक तो साखियका | देशदश मह बोगिया ... ६३८ कर्म निकटही निकट मिलता जुळता | लोहे चुम्बक भौति जस ... ६३८ आया है पूर्ण साहकी टीकाके साथ, | गुरू बिचारा क्या करे ... किन्तु यहांसे आगे बहुत गड चड | दादा बाबा भाईके लेखे ... होगया है। | लघुताई सब ते भली ... ६३९ wo اس w اس ev ••• ६३५ w ४ اس w ४ wo " w ४ اس wo w ४ ام اس w w w w w w سه w لام