पृष्ठ:बीजक.djvu/१९

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(१६) बीजककी-अनुक्रमणिका । विषय. | पृष्ठ. | विषय. पृष्ठ. फुटकर शब्द । संतो कारण देह सरेखा ... ५२८ | ( टीकान्नर्गत ) | संतो महा कारण तन जाना ५२८ बलि हारी अपने साहब की १९ | संतो केवल देह बखाना ... ५२९ ज्यों भुंगी गये कीट के पासा ८१ । | संतो सुना हंस तन ब्याना... ५२९ । । । १० । अब तो अनुभव अग्निहि लागी ५६५ मन रे जब ते राम कह्यारे.... ११० | संतो राम नाम जो पावे ... ५६७ चारो युग में कबीर साहबका जहां पुरुष सतभाव तहँ हंसनको प्राकट्य ... ... ११२ | बासा ... .... ... ५७६ दुलहिन गावो मंगल चार ... १४६ | रामको नाम चौमुक्तिका मूल है ५९१ दश मुकामी रेखता ... २३८ | संतो या मन है बड जालिम... ५९२ राम न जप्यो कहाँ भौ मन्दा ३२९ | कालके माथे पगधरी ... ६ चलो सखी बैकुण्ठ विष्णु | गगनमंडल दृग महलमें ... ६ | माया जहाँ .... ... ३५७ | यहि औतार चेतो नहीं ... जहँ सतगुरु खेलें ऋतु बसंत ३७७ ! कंचन केवल हरि भजन .... जागुरे जिव जागुरे .... ... ४५० | जो रक्षक है जीवको .... ६०७ हम न मेरै मरि है संसारा ... ४५५ | जहाँ कालकी गम नहीं ... ६०८ जो तै रसना राम न कहि है ४६० चौका विधानका शब्द ।। राम कहत चलु राम कहत चलु ( गोस्वा०) ... ४६३ अगर चन्दन घसि चौकपुरावा ६०८ क्या नागे क्या बॉध चाम ... ४७२ दशौदिशाकर मैटौ धोखा ... ६०९ सदा बसंत होत जैहि ठाऊं ४८२ अबधू ऐसा योग विचारा ... ६१२ चेति न देखेरे जग धंधा .... ५०० विन परसन दरशन विनु .... ६१६ बहुतक लोग चढ़ विन भेदा... ६४२ | पंचदेह निर्णय । | कलिमां बग निमाज गुजारे... ६४४ एक जीव जो स्वतः पद ... ५२७ | रूप अखण्डित ब्यापी चैतन्य ६४५ संत षट प्रकार की देही ... ५२७ | सुनुधर्मदास भक्तिपद ऊचा... ६४७ सतो सूक्ष्म देह प्रमाना .... ५२८ । संता बीजक मत प्रमाना ... ६५७ इति अनुक्रमणिका । ७ ७