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पृष्ठ:बीजक.djvu/१९९

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( १४९ )
रमैनी ।

(१४९) रमैनी।। जन्मतशूद्रभयेपुनिशुद्रा। कृत्रिमजनेउघालिजगढुंद्रा ॥२॥ जोतुमब्राह्मणबाह्मणीजाये । औरराहतुमकाहेनआये ॥३॥ जब प्रथम तेरो जन्म होइहै तवतें शूदई रहै है काहेते कि संस्कार कुल- नहीं रहैहै औ जब मैरै तब अशुद्धई है शिखा जनेऊ दूनो अगीमें नरिजाइहैं तबहूं शूद्र हैनाईहै सो कृत्रिम जनेऊ पहिरिकै नैं जगत्में बन्द मचाइ दियोहै कि हम ब्राह्मण हैं ये क्षत्री हैं ये वैश्यहैं ये शूद्रहैं ॥ २ ॥ नोकहौ हम जन्म करिके ब्राह्मण हैं ब्राह्मणीते उत्पन्न हैं और राह है काहे। आये ब्रह्मांड फोरिकै आवते आंख के राहदै आवते अशुद्ध राहँदै काहआये अर्थात् न ब्राह्मणी आपनी शक्तिते उत्पन्न करिसकै न तें अपनी शक्ति ते आइसकै कर्महीते ब्राह्मणी उत्पन्न करै हैं कर्मही ते तें आवै है तेहिते जन्म ते तौ शूद्रहौ संस्कारते दिनभये वेद अभ्यास कियो तब विप्रभये औ जब ब्रह्मको जानैगो तब ब्राह्मण कहाँबैगो ताते कर्महाते ब्राह्मणत्व तोमें आवै है अहं- ब्रह्म तो धोखही है परब्रह्म जे श्रीरामचन्द्र हैं तिनहूँ को रौं न जान्यो सो हैं ब्राह्मणकैसे होइगो जबतें साहबको जानैगे तबहीं ब्राह्मणहोइगो ॥ ३ ॥ जोतूतुरुकतुरुकिनीजाया । पेटैकाहेनसुनतिकराया ॥४॥ कारी पीरी दूहौ गाई । ताकर दूध देहु बिलगाई ॥८॥ | औ जो तू कहै कि हम तुरुकिनी ते उत्पन्नहैं तौ पैंटै काहे न सुनति करायो तेहिते तुरुकिनी के पेटते भयेते मुसल्मान नहीं है ॥ ४ ॥ कारीपरी गाइको दुध मिलाइकै कोई बिलगावै तौ काबिलग होइहै ऐसे आत्मा तौ एक- ही जातिहै हिन्दू तुरुक नहीं है सकै है ॥ ५ ॥ छाँडुकपटनरअधिकसयानी ।कहकबीरभजुशारंगपानी६॥ अपनी सयानी अधिककरिकैजोकपट करिराख्यो है सोछोड़ि दे बिचारकै देखु लैंतो आत्मा ने हिंदू है न तुरुकहै तें जाको अंश है ऐसे शरँगपाणि जे साहबहैं ताको भजु ताकी सेवा करु शारंगपाणी जो कह्यो ताको यह हेतुहै कि धनुषबाण लिये तेरी रक्षा करिबे को तैयार हैं और तू औरै रैमें लगाहै। जो