पृष्ठ:बीजक.djvu/२९९

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शब्द । ( २४९ ) दुखित सुखितसवकुटुंब जेंवइवे।मरणवेर यकसरदुखइवेध कह कवीर यहकलिहै खोटी।जो रहकररवा निकसललोटी रामन रमसि कौन बँड लागी । मरि जैहै का करिहै अभागा सबको दुइ छोड़ाय देनवारे ने सबते परे परमपुरुष श्रीरामचंद्र हैं तिनमें जोतें नहीं रमैहै सो तोको गुरुवा लोगनको कौन दंड लगौहे यहतो सवयहींके साथी हैं साहबके भुलायदेनवारे हैं जेउपदेश करनवारेगुरुवनके कहे माया ब्रह्म आत्माको ज्ञानरूपी दंडचवावमें जाते परे हैं सो हे अभागा!जबतेंमरिजैहै तबके गुरुवा तोको न वचासकेंगे तब क्याकरोगे ॥ १ ॥ कोइ तीरथ कोई मुंडितकेशा । पाखंड भर्म मंत्र उपदेशा२ | तीर्थनमें जाइकै कोई चहौहौ कि, विना ज्ञानही मुक्तिद्वै जाइहै औकोई मूड़मुड़ायकै वेषबनाइकै संन्यासीद्वैकै औ अपने आत्माहीको मालिक मानिकै चाहीही कि मुक्तद्वैजायँ । औकोई नास्तिकादिकनके जनानापाखंड मतहैं तिनमें लागिक जानौकिं मुक्त हैगये औ कोई भ्रमजो धोखाबसँहै तामें लागिकै आपनेकोब्रह्म मानिकै जानै हौ कि हममुक्तद्वैगये औकोई और और देवतनके मंत्रउपदेश पायकै जानीहौ कि हममुक्तद्वैगये ॥ २ ॥ विद्या वेद पढ़ि कर हङ्काराअंतकाल मुखफांके क्षारा॥३॥ अरुकोई वेदबाह्य जे नाना विद्या अपने अपने गुरुवनकी भाषा तिनको पट्टिकै औ कोई वेद पट्टिकै वेदमें शास्त्र औ चौंसठ कलादिक सब आइगये अहङ्कारकरोहो कि हम मुक्तद्वैगये सोमुक्ति तो जिनको वेदतात्पर्य करिकै बतावेहै ऐसेने परमपरपुरुष श्रीरामचंद्र तिनके बिनाजाने न होयगी । होयगो कहाँ ? कि जबअंतकाल तेरो होइगो तब यह मुखमें क्षार फांकैगो औ पुनिजब पुण्यक्षीणहोइगो तब लोक आवोगे तबहू मरेबै करोगे क्षारई फांकौगे ॥ ३ ॥ दुखितसुखितसवकुटुंबजेंवइवे । मरणबेरयकसरदुखपइवेध दुःखसुखमें सबकुटुम्बनको जेवावहै तेमरणसमय कोईकाम नहीं आवैहैं तें अकेलही दुःखपावैहैं परन्तु सहायतेरी कोई नहीं करिसकै है ॥ ४ ॥