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(२७० ) बीजक कबीरदास । कहत तो एकही को हैं ॥ १॥ जैसे एक गहना को सुवर्ण ते गहना कहे गहिलेई कहे सुवर्ण विचारिलेइ तामें भाव दूजा नहीं है वह सुवर्ण है जैसे कोई चूड़ा कोई बिनायठ इत्यादिक नाम है हैं परन्तु है सुवर्णही तैसे कहिले सुनिबेको दुइ करि थाप्यो ह यक निमाज़ यक पूजा परन्तु है सब साहबकी बंदगीही परम परपुरुष श्रीरामचन्द्रही को सँवै हैं ॥ २ ॥ वही महादेव वही महम्मद ब्रह्मा आदम कहिये। कोइ हिंदू कोइ तुरुक कहावै एक जिमीं पर रहिये ॥३॥ वोही परम परपुरुष श्रीरामचन्दको महादेव औ महम्मद औ ब्रह्मा औ आदम सब कहिये कहे कहतभये कोई राम कहिकै कोई अल्लाह कहिकै कुरानमें लिखे है कि सब नामनमें अल्लाहनाम ऊपर है औ यहां वेदपुराण में लिखे है कि सबनामनमें रामनाम ऊपरहै तामें प्रमाण ॥ * सर्वेषामपिमंत्राणांराममंत्रफलाधिकम् ॥ इति ॥ * सहस्रनामतत्तुल्यंरामनमावरानने " ॥ याते सबके मालिक परम पुरुष श्रीरामचन्द्रही जगदीशहैं दूसरी जगदीश नहीं है । उन हींके अल्लाहनामको सब नामनते परे महम्मद कुरानमें लिख्योह औ उनहीं नाम को महादेवने तंत्रमें लिख्योहं औ ब्रह्मा वेदमें कहतभये आदम किताबमें कहतभये अरु इहांतो एक जे परमपुरुष श्रीरामचन्द्रहैं तिनहीं के जिमींमें कहे जगत्में रहत भये । नामके भेदते कोई हिन्दू कोई मुसल्मान कहावै है ॥ ३ ॥ वेद किताब पढ़े वे खुतुवा वे मोलना वे पड़े। विगत विगतके नाम धरायो यक माटी के भाँड़े ॥४॥ | जिनके पोथी जमा होय ते कहानैं खुतुबा वे वेदपुराण जमा कैकै पर्दैहैं वे किताब जमाकैकै पटै हैं वे पंड़ितकहावै हैं वे मोलना कहावै हैं वेद पट्टिकै पंडित किताब पढिकै मोलना कहावें बिगत बिगत कहे जुदा जुदा नाम धराय छेते भये हैं एकई माटीकेभांड़े कहै हैं सब पांचभौतिकही हैं ॥ ४ ॥ कह कवीर वे दून भूले रामहिं किनहुँ न पाया। वे खसिया वे गाय कटावै बादै जन्म अँवाया ॥॥