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शब्द। ( २९९) जो तें साहव होइ तव तेरा होइ। राम खोदाय औ शक्ति शिव जैहैं तिनमें कहुधौं हैं काको निबेरा किया है कि,एक यह जगत्को मालिक है । औ वही मैं हौं । अर्थात् इनकी सामर्थ्य तोमें एकऊ नहीं देखिपरैहै ताते इनमें तें कोई नहीं है ॥ ३ ॥ वेद पुराण कुरान कितेवा नाना भांति बखानी ।। हिंदू तुरक जैन औ योगी एकल काहुन जानी ॥४॥ वही साहको नाना नाम लैकै कहेहैं सो वेद पुरान कुरान किताबमें वहीं साहवका सवने परे नाना भांतिते नाना नामलैकै बर्णन किया है यही हेतुते हिन्दू तुरुक जैनी योग एकल कहे एक नामकरिकै कोई नहीं जान्यो कि, एक यही सिद्धांत है यही सबको मालिक है । अथवा एकल कहे जौने करते जोने उपायते मैं मन वचनके परे साहवको जान्यो है सो कोई नहीं जान्यो ॥ ४ ॥ छः दरशनमें जे परवाना तासु नाम मन माना । कह कवीर हमही हैं बौरे ई सव खलक सयाना ॥ ६ ॥ छइउ दर्शन में अरु जेते सब हिन्दू तुरुक आदि वर्णन कर आये तिन सबमें जौने धोखा ब्रह्म को प्रमाण परै है तनेही को नाम सबके मनमें मानै है । कहते ती मन बचनके परे हैं परंतु कोई ब्रह्म कहिँकै कोई अल्लाह कहिकै कोई जीवात्मा कहिकै वाहीको सव मानै हैं । सो कबीरजी कहैं कि, सब खेलक सयाना है काहेते कि, कहते तो यह बात हैं कि, वहतो मन वचनमें आवते नहीं है औ जे मन वचनमें अवै हैं तिनहीं मैं फिर लागै है ताते हमहीं बौरहाहैं। जो ऐसा कहै कि, साहब आपही ते कृपा कारकै अनिर्वचनीय रामनाम स्फुरित करि देइहैं ताहीके मिलनको उपाय बतावै हैं यह काकु कैरै हैं ॥ ६ ॥ इति अड़तालीसवां शब्द समाप्त । अथ उनचासवीं शब्द ॥४९॥ वुझ बुझ पण्डित पद निर्वाना । साँझ परे कसँवां बस भाना नीच ऊँच पर्वत ठेलान भीत। विन गायन तहँवा उठ गीत२