पृष्ठ:बीजक.djvu/४६७

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शब्द । औ परम पुरुष श्री रामचन्द्र अल्लाह साकेत नाहूतके रहनवारे तिनका तो जानैं नहीं हैं आसमान में है शून्य धोखा ब्रह्म तौने की बातें कथै हैं कि हमहीं ब्रह्महैं औ हमह बेचून बेचिगूग बेसुवा बेनिमून हैं औ उनके जिन्दगीको मुद्दति नियरेही है केतनौ यहै कथत कथत मरिगये केतौ मरेंगे केतै मरे जायह यह नहीं बिचौरहें कि ने खुदा होते ब्रह्म होते तौ मरि कैसे जाते सों बहुत खुदी दिलमें राखते हैं कि खुदखाविंद हमहीं हैं औ जो बहुत खुबी पाठ होइ त यह अर्थ कि हमही सवते खूब कहे अच्छे हैं पै बिना पानी झरहीमें बूड़ि गये अर्थात् मरिही गये वह नो ब्रह्म खुदाको ज्ञान किया कि हमही हैं सो ज्ञान झूरही ठहरचो वामें कुछु रस न ठहरयो मरतमें वह रक्षा तनकऊ न किया जो कह जे साहब खुदाको जोन ते कव जिये हैं तेऊतो मरिही जाय तो तुमही रामायणमें सुनै होउने कि ने ते भर प्रनाहैं जे ते भर भालु बांदर तिनको श्रीरामचन्द्र सदेह आपने धामफो लैगये है श्री हनुमान्जीको बिभीषणको छोड़िगये ते अबलों बने हैं औ कागभुशुण्ड नारद अगस्त्य बशिष्ठजी रामोपासक हैं ते अबलो बने हैं जो कहो अब केतो राम भक्तको मरत देखे हैं तो जे साधनमें हैं। ॐ परमपुरुष श्री रामचन्द्रको नीकी भांति नहीं जानै हैं औ श्री रामचन्द्रकी प्राप्ति नहीं भई ते शरीर छोड़कै वह लोकको क्रमते जाइहैं शरीर छोड्रिकै फिर अवतार लेइहैं पुनि ज्ञान होइ है तब जाईहै औ जे परमपुरुष श्री रामचन्द्रको अच्छी भांति जानि लिया है औ तहांको प्राप्त होइ गये हैं तिनको शरीर छोड़िबो ऐसो किं यहां गुप्त है गये पुनि कहूं प्रगट हैके उपदेश फरिकै जीवनको तारये। वे साहबको प्राप्तई हैं जब चाहै हैं तब साहब के रहे हैं जब चाहै हैं तब प्रगट बँकै जीवनको उपदेश करिकै तरै सो श्री कबीरजी प्रगटई देखाइदियों कि काशीमें शरीर छोड़यो मथुरा में उपदेश किया है चारिउ युग उपदेश करतई ओ मुसल्माननके अली शरीर छोड्यो पुनि लौटिकै आयकै संदूक आपनी लाश राखिकै ऊंटमें लादिकै लैगये सो ३ पहारके बीच है निकसे जॉइ सो वहमें अटकाइ दियो सो अबलों वह संदूक अटकी है सो इनको चोला । छांड़िबो यहि भांति को जैसे साँप केचुरि छोड़िदेइहैं ॥ ५ ॥