पृष्ठ:बीजक.djvu/४६८

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(४२०) बीजक कबीरदास । सो कबीरजी कहै हैं कि मैं कासों कहों सिगरो संसार आंधर है रह्यो। सांचे जे परम पुरुष श्री रामचन्द्र सर्वत्र पूर्ण हैं तिनसों भागो फिरै है उनको नहीं देखैहै औ झूठा जो है धोखा ब्रह्म ताही में बँध रह्योहै औ यथार्थ अर्थमें चारों वेद छइउ शास्त्र तात्पर्यकैकै परम पुरुष श्री रामचन्द्रको बर्णन करै हैं सो में आपने सर्वे सिद्धांत में स्पष्ट करिके लिख दियो है ॥ ६ ॥ इति श्रीमहाराजाधिराज श्रीमहाराजा श्री राज बहादुर श्री सीतारामचन्द्र कृपा पात्राधिकार विश्वनाथ सिंह जू देव कृत तिलक शब्द समाप्त ।

इति ।



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सूचना-मूल ग्रन्थमें ११५ शब्द से न जाने किस कारणसे महाराजने उसे छोड दिया है। सो दोनों शब्द प्रस्तावनामें दे दियाहै पाठक वहांसे देख लें ।