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पृष्ठ:बीजक.djvu/४९८

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(४५२) बीजक कबीरदास । यकतो अनिष्ट पाय परि विनवै विनती किये न मानै हो। अनचिन्ह रहे कियो न चिन्हारी सो कैसे पहिचानै हो ७ एक जे साहब हैं सबके रक्षक तिनते ये अनिष्ट रहे कहे उनको इष्ट न मानत रहे । औ वहां यमदूतनसों पांय परि पार विनवै है, सब देवतनते विनवै है, वे बिनतीहू किये नहीं मानैहैं । काहेते कि, दयाहीन हैं । औ साहब जे दयालु छुड़ावनवारे तिनस अन चिन्हार रहै चिन्हारी न कियो सो कैसे अब पहिचानै । भाव यह है कि जो, अजहूं स्मरणकरो तौ साहब छुड़ाइही लेइगे ॥ ७ ॥ लेइ बुलाय बात नहिं पूछै केवट गर्भ तन बोलै हो। जेकरी गांठ सवल कछु नाही निराधार है डोले हो८ औ केवट ने गुरुवा लोगहैं ते तब तो गर्भ कहे अहंकार तनमें कैकै तुमको बोलाय आपने मतमें मिलाये लीन्हेनि । अब जब यमदूत मारन लगे तब तुमको बात नहीं पूछे हैं। गुरुवा लोग सो जाके सवल कहे खर्च राम नाम रह्यो सो पार भयो औ जाके राम नाम सबल कछु नहीं रह्यो सो निराधार कहे रक्षक रहित यमपुरमें डॉलैंहै अथवा निराधार जो ब्रह्म ताहीम डालैहै॥८॥ जिन सम युक्ति अगमनकै राखिन घराणि मांझ घर डेहरिहो। जेकरे हाथ पाउँ कछु नाहीं धरन लागु तन सेहरि हो ॥ ९॥ जौने स्त्री पुत्रादिकन को नाना युक्तिकैकै पालन किया है तौन घरणि कहे स्त्री शरीर छूटे डेहरी भर जायहै आगे नहीं जायहै । सम जो पाठहोय तौ जिनका अपने सम बनाय राखिन तौन स्त्री डेहरीलौं पहुंचाई है । धुनिते या आयो कि पुत्र चिता लौं जायहै सो लेकरे हाथ पाउँ कछु नाहीं कहे जेकरे हाथपाउँ नहीं है ऐसो जो जीवात्मा ताको जब यमदूत धरनलागु तब तनमें सेहार लै आवै है। तन विकल वै जाइहै, वे कोऊ नहीं सहाय करै हैं । ताते साहबको जानौ जो । कहो यमदूतै कैसे धरेंगे ? तौ लिंग शरीरते धरेंगे अर्थात् जाको जैसो कर्म है। बाके संस्कारते वा लोकमें कर्म शरीर बनैहै ॥ ९ ॥