पृष्ठ:बीजक.djvu/७

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बीजककी-अनुक्रमणिका ।

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विषय. पृष्ठ. विषय. पृष्ठ. आदिमंगल। अलख निरंजन लखै न कोई ८३ प्रथमे समरथ आप रहे १ । अल्प सुखहि दुख आदिऊ अंता ८५ रमैनी । चन्द्र चकोर अस बात जनाई ८७ नीवरूप एक अंतर बासा २७ चौतिश अक्षर को यही विशेषा ८९ अंतरज्योति शब्द एक नारी ३४ आपुहि कर्ता भे करतारा ९० प्रथम आरम्भ कौन को भयऊ ३८ | ब्रह्मा को दीन्हो ब्रह्मा ९३ प्रथम चरन गुरु कीन्ह बिचारा ४० । अस जोलहा का मर्म न जाना ९५ कहेलो कहाँ युगन की बाता ४२ बचहु ते तृण छनमें होई ९६ वर्णहु कौन रूप औ रेखा ४६ औ भूले पट दर्शन भाई ९८ जहिया होत पवन नहि पानी ४८ स्मृति आहि गुणनको चीन्हा १०० तत्वमसी इनके उपदेशा ४९ बांधे अष्ट कष्ट नौ सूता ५२ अन्धको दर्पण वेद पुराना १०१ राही के पिपराही बही ५४ वेदकी पुत्री स्मृति भाई .... १०२ आंधरी गुष्ट सृष्टि भई बौरी ५६ | पट्टि पढ़ि पंडित करहु चतुराई १०५ माटिक कोट पषानक ताला ६० । पण्डित भूले पढ़ि गुनि वेदा १०७ नहिं प्रतीति जो यहि संसारा ६२ | ज्ञानी चतुर बिचक्षण लोई १०९ बड़ा सो पापी आहि गुमानी ६७ एक सयान सयान न होई ११० उनई बदरिया परिगो संझा ७० यह विधि कहाँ कहा नहिं माना११२ चलत चलत अति चरन पिराने ७२ जिन्ह कलमा कलिमहि पढ़ाया ११३ जस जिव आपु मिलै अस कोई ७४ अद्भुत पंथ बरणि नहिं जाई ७७ आदम आदि सुद्धि नहिंपाई ११५ अनहद अनुभव की करि आशा ७८ अंबुकी राशि समुद्र की खाई ११६ अब कहु रामनाम अविनाशी ८० जब हम रहल रहा नहि कोई ११८ बहुत दुखै है दुःख की खानी ८२ | जिन्ह जिव कीन्ह आपुविश्वासा ११९