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पृष्ठ:बीजक.djvu/७६४

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० । ० । ० । ० । ० ० जाहिरात । नाम, की. रु. आ. तथा प्रथम भाग ( ३-आदि, सभा, वनपर्व ) ... ... ... १-० तथा द्वितीय भाग ( २-विराट, उद्योगपर्व ) ... ... ... १-० तथा तृतीय भाग ( ८-भीष्म, द्रोण, कर्ण, शल्य, गदा, सौप्तिक, | ऐषिक, स्त्रीपर्व ) .... ... ... ... ... ... १-० तथा चतुर्थ भाग ( ५-शान्ति, अश्वमेध, आश्रमवासिक, कुशल, स्वर्ग| रोहणवर्णन ) .... ... ... ... ... .... १-० विजयमुक्तावली ( महाभरतका सूक्ष्म वृत्तांत छंद बद्ध ) * परिहासदर्पण अर्जुनगीता भाषा .... । शनिकथा कायस्थकी .... । शनिकथाराघवदासकृत ••• ••• ••• ••••••••• शनिकथा बड़ी पं० रामप्रतापजीकृत ... .. रुक्मिणी मंगल बड़ा ( पद्मभक्तकृत मारवाड़ी भाषा ) .... हनुमानबाहुक पंचमुखी कवच समेत मूल नासिकेतपुराणभाषा ( स्वर्गनरकका वर्णन ) ...। नरसीमेहताका मामेरा बडा ... ... ...। विस्मिलपरिवारका स्वांग ( इश्क़चमन ) ... ... ... सूर्यपुराणादि २२५ रत्न अतिउत्तमकागज और निल्दबंधा सूर्यपुराणादि २२५ रत्न रफ् ... ... ... ... ... ज्ञानमाला ••••••••••••••••••••••• मंगलदीपिका अर्थीद शाखोच्चार... ... ... ... ... ०-१॥ दंपतिवाक्यविलास-जिसमें सब देशांतरकी यात्रा और धंधेके सुखको पुरुषने मंडन और स्त्रीने खंडन किया है दोहा कबित्तोंमें ( सुभाषिन ) ... ... ... . ... ०-१२ रसतरंग ( ज्ञानभक्तिमार्गी अनबरँगीले पद्य कृष्णगढ़ महाराज प्रणीत ) ... ... ... ... ... ... ७-८ । ० ० - ० ० ० ० ० ०-२