पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१३५

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* वीजक मूल *
काम क्रोध मद लोभ के हो। तनकी सकल संग्या ।

१ घटि गयऊ । मनहिं दिलासा दूनी हो ॥ कहहिं । . कवीर सुनो हो संतो । सकल सयानप ऊनी हो ॥

कहरा ॥४॥
  • अोढन मोरा राम नाम । में रामहिं का यनि-

जारा हो। राम नाम का करहु बनिजिया। हरि मोरा 'हटवाई हो ॥ सहस नामका करो पसारा । दिनदिन • होत सवाई हो । जाके देव वेद पछ राखा । ताके ।

  • होत हटवाई हो ॥ कानि तराजू सेर तीनि पउवा ।।

• तुकनि ढोल बजाई हो ॥ सेर पसेरी पूरा केले ।। पासंग कतहुँ न जाई हो ॥ कहहिं कबीर सुनो हो ।

संतो । जोर चला जहाई हो ॥ ४ ॥
कहरा।।५॥

1 राम नाम भजु राम नाम भजु । चेति देखु

  • मन माहीं हो । लच्छ करोरी जोरि धन गाड़े ।।

३ चलत डोलावत वांहीं हो॥दादा वावाौ प्रपाजा ।। जिन्हके यह भुइँ गाँड़े हो । 'आँघर भये हियहु ।