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पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१५२

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. बीजक मुल १५३ भवन मथेउ भरपूरि हो रमैया राम ॥ फिरिकै हन्सा पाहुन भये हो रमैया राम ॥. . वेधिन पद निर्वान हो रमैया राम ॥ ? तुम हँसा मन मानिक हो रमैया राम ॥ हटलो न मानेहु मोर हो रमैया राम ॥ जसरे कियेहु तस पायेउ हो रमैया राम । हमरे दोप का देहु हो रमैया राम ॥ अगम काटि गम कियेहु हो रमैया राम ॥ सहज कियेहु विश्वास हो रमैया राम ।। रामनाम धन बनिज कियो हो रमैया राम ॥ लादेउ वस्तु अमोल हो रमैया राम ॥ पांच लदनुवां लादि चले हो रमैया राम ॥ नौ बहियां दश गोनि हो रमैया राम । पांच लदनुवां खागि परे हो रमैया राम ॥ ई. खाखर डारिनि फोरि हो रमैया राम ॥ शिर धुनि हँसा उड़िचले हो रमैया राम ॥ सरवर मति जो हारि हो रमैया राम ॥