पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/६१

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६० बीजक मूल

अंधा ॥ गोपी ग्वाल न गोकुल आया । कर्ते कंस। न मारा॥ है मेहरवान सबहिन को साहेन । ना। जीता ना हारा ॥ वे कर्ता नहिं बौद्ध कहावै । नहीं 'असुर संहारा ।। ज्ञान हीन कर्ता कै भरमें । माये ।

जग भर्माया ॥ वै कर्ता नहिं भय निकलंकी । नहिं ।

• कालिंगहि मारा ॥ ई छल बल सव माया कीन्हा ।। . जत्त सत्त सब टारा ॥ दश अवतार ईश्वरी माया ।। कर्ता कै जिन पूजा। कहहिं कबीर सुनो हो संतो।। उपजे खपे जो दूजा ॥ ८॥ शब्द ॥६॥ ___सन्तो बोले ते जग मारे।

  • अनबोले ते केसक वनि है ।। शब्दहि कोइ न !

विचारे । पहिले जन्म पुत्रको भयऊ । बाप जन्मि- या पाछे ॥ वाप पूतकी एक नारी । ई अचरज कोई काथे ॥ दुंदुर राजा टीका वेठे । विपहर करें। खवासी ।। श्वान पुरो घरनि ढाकनों । विल्ली घर में दासी ॥ कार दुकार कार करि भागे । वेल करें। ramme mppy-