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( १९९ ) इस धर्म के फैलने पर पहले शूद्र और वैश्य वर्ण पृथक हो गए, फिर क्षत्रिय वर्ण भी पृथक् हुआ और स्त्रियाँ अपने पतियों का अनादर और अवज्ञा करने लगी। क्षत्रिय, ब्राह्मण तथा अन्य लोग जातिवाद को लेकर काम के वशीभूत हो गए।"
( १९९ ) इस धर्म के फैलने पर पहले शूद्र और वैश्य वर्ण पृथक हो गए, फिर क्षत्रिय वर्ण भी पृथक् हुआ और स्त्रियाँ अपने पतियों का अनादर और अवज्ञा करने लगी। क्षत्रिय, ब्राह्मण तथा अन्य लोग जातिवाद को लेकर काम के वशीभूत हो गए।"