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पृष्ठ:बुद्ध-चरित.djvu/१६

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(७)

हैं। नीचे दिए हुए पद्यों में अलग अलग बोलियोँ के नमूने चुनिए-

(१) कोहे चलिअ हम्मीर बीर गजुह संजुत्ते।

किअउ कठ्ठ हाकंद मुच्छि[] मेच्छिअ[] के पुत्ते।

(२) चंचल जुव्वण जात ण जाणहि छाइल्ल समप्प काइँ णहीं?

(३) कासीसर राणा किअउ पआणा विजाहर[] भण मंतिवरे।

(४) ढोल्ला[] मारिअ ढिल्लि[] महँ मुच्छिव[] मेच्छ सरीर।

(५) हमिर बीर जब रण चलिआ। तुरअ तुरअहि

जुज्झिया। अप्प पर णहि बुज्झिया

(६) विणास करू। गिरि हत्थ धरू

(७) तुम्हाण, अम्हाण। चंडेसो, रक्खे सो। गोरी रक्खो

(८) भवाणी हसंती। दुरित्तं हरंती

(९) सो हर तोहर। संकट संहर।

(१०) पसण्ण होउ चंडिआ।

(११) सरस्सई[] पसण्ण हो।

(१२) वित्तक पूरल मुंदहरा[] । बरिसा समआ सुक्खकरा

(१३) अहि ललइ, महि चलइ मुअल जिवि उट्ठए।

(१४) राजा जहा लुद्ध। पंडीअ[] हो मुद्ध।

(१५) जे जे सेता वण्णीया, तुम्हा कित्ती जिण्णीआ।


  1. मूर्छित होकर।
  2. म्लेच्छों।
  3. विद्याधर।
  4. ढोल, डंका
  5. दिल्ली।
  6. मूर्छ्यो=मूर्च्छित हुआ।
  7. सरस्वती।
  8. मुँदहरा=मुँडगृह=मुँडेरा।
  9. पंडित।