पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२१ बौद्ध-धर्म-साहित्य उन्होंने बुद्ध से कहा-प्रभु ! इस समय भिन्न-भिन्न जाति और गोत्र के लोग भिक्षु होगए हैं; वे अपनी-अपनी भाषा में बुद्ध के वाक्यों को नष्ट करते हैं। इस कारण हमें आज्ञा दीजिए, हम बुद्ध के वाक्यों की संस्कृत छन्दों में रचना करें । बुद्ध ने कहा-हे भिक्षुओ ! मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ कि तुम बुद्धों के वाक्यों को अपनी ही भाषा में सीखो। क्या बुद्ध का यह स्वर्ण उपदेश हम हिन्दी भाषा-भाषी भी सुनें ? त्रिपिटक की सूची यह है- त्रिपिटक (पाली) हीनयान (दक्षिण बौद्ध-साहित्य) १---सूत-पिटक (भगवान बुद्ध के निर्माण किये ग्रन्थ) (१) दीर्घनिकाय (ब्रह्मज्ञान-सुत्त-अर्थात् बड़े-बड़े ग्रन्थ जिनमें ३४ सूत्रों का संग्रह है) (२)मझिमनिकाय(अनुमानसुत्तमध्यमग्रन्थ जिनमें १५२सुत्तहैं) (३) संयुत्त-निकाय (सम्बन्ध-ग्रन्थ) (४) अंगुत्तर-निकाय ( ऐसे ग्रन्थ जिनमें कई भाग हैं, और प्रत्येक भाग का विस्तार एक-एक करके बढ़ता गया है) (५) खुद्दक-निकाय (छोटे-छोटे ग्रन्थ जिनमें पन्द्रह ग्रन्थ हैं और जिनका विस्तार से वर्णन यह है) (क) खुद्दक-पाठ (छोटे-छोटे बचन) (ख) धम्म-पद (धार्मिक आज्ञाओं का संग्रह) (ग) उदान (८२ छोटे-छोटे छन्द जिन्हें भिन्न-भिन्न समय पर बुद्ध ने कहा)