, बौद्ध-काल का सामाजिक जीवन जिस समय बुद्ध का जन्म हुआ उस समय राजनैतिक और सामाजिक दशा बड़ी विचित्र थी। तमाम देश भर में अन्ध-विश्वास फैले हुए थे। और वर्तमान से लोगो को अनिच्छा और घृणा पैदा हो गई थी। लोग इस प्रकार के महापुरुष की आवश्यक्ता समझते थे कि जो उनको ठीक मार्ग पर चलावे, जोकि उनके मनको शांति पहुँचावे, समाज के सामने जिसका जीवन आदर्श हो। इस समय भारतवर्ष तीन भागों में बँटा हुआ था। (१) माहिश्मती के अनुसार एक हिमाचल से विंध्याचल के बीच का देश जोकि सरस्वती के पूर्व और प्रयाग के पश्चिम में हैं। और जोकि मध्यदेश कहलाता था।(२)इस सध्यदेश के उत्तर का भाग उत्तरा-पथ कहलाता था और (३) दक्षिण का भाग दक्षिणा-पथ कहलाता था। उस समय देश में १६ बड़े-बड़े राज्य थे। ये राज्य वास्तव में देश के नाम नहीं,बल्कि जातियों के नाम थे और बाद में उनकी जातियों के नाम पर ही देश के भी नाम पड़ गये। ये प्रत्येक राजा स्वतन्त्र थे। और उनपर शासन करनेवाली कोई भी प्रवल शक्ति नहीं थी।
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