पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१५७ महान बुद्ध सम्राट अशोक देवताओं के प्रिय राजा पियदसी ने दो प्रकार की औषधियों के दिये जाने का प्रबन्ध किया है, अर्थात् मनुष्यों और पशुओं के लिए औषधि । जहाँ कहीं मनुष्यों और पशुओं के लिए लाभदायक पौधे नहीं होते, वहाँ वे ले जाकर लगाये गये हैं, और सर्वसाधारण के मार्गों में मनुष्यों और पशुओं के लिए कुएँ खुदवाये गये हैं। सूचना ३- देवताओं के प्रिय राजा पियदसी ने इस भांति कहा । अपने राज्याभिषेक के बारहवें वर्ष में मैंने इस प्रकार आज्ञायें दी । मेरे राज्य में सर्वत्र धर्मयुत, राजुक और नगरों के राज्याधिकारी पाँच वर्ष में एक बार एक सभा ( अनुसम्यान ) में एकत्रित हों और अपने कर्तव्य के अनुसार इस प्रकार धर्म की शिक्षा दें- "अपने पिता, माता, मित्रों, संगियों और सम्बन्धियों की धर्मयुत सेवा करना अच्छा और उचित है।" तब राजुक धर्मयुतों को मन और वाक्य से विस्तारपूर्वक शिक्षा देगा। सूचना ४-- प्राचीन समय में कई सौ वर्षों तक जीवों का वध, पशुओं पर निर्दयता, सम्बन्धियों के सत्कार का अभाव और ब्राह्मणों और श्रामनों के सत्कार का.अभाव चला आया है, परन्तु आज राजा पियदसी ने, जो देवताओं का प्रिय और धर्मकाज में बड़ा भक्त है, ढिंढोरा पिटवाकर और लाव-लशकर मशाल और स्वर्गीय वस्तुओं को अपनी प्रजा को दिखलाकर धर्म को प्रकट किया।