पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१८३ महान बुद्ध सम्राट अशोक इसी उद्देश्य से यह धार्मिक शिलालेख खुदवाया गया है कि हमारे पुत्र और पौत्र यह न सोचें कि किसी. नवीन विजय की आवश्य- कता है, वे यह न विचारें कि तलवार से विजय करना 'विजय' कहलाने योग्य है, वे उनमें नाश और कठोरता के अतिरिक्त कुछ न देखें, वे धर्म की विजय को छोड़कर और किसी प्रकार की विजय को सच्ची विजय न समझे। ऐसी विजय का फल इस लोक तथा परलोक में होता है। वे लोग केवल धर्म में प्रसन्न रहें, क्यों- कि उसी का फल इस लोक और परलोक में होता है । सूचना १४- यह सूचना देवताओं के प्रिय राजा पियदसी की खुदवाई हुई है । वह कुछ तो संक्षेप में, कुछ साधारण विस्तार की और कुछ वहुत विस्तृत है। अभी सब का एक दूसरे से सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि मेरा राज्य बड़ा है, और मैंने बहुत-सी बातें खुदवाई हैं, और बहुत-सी बातें अभी और खुदवाऊँगा। कुछ बातें दोहराकर लिखी गई हैं, क्योंकि मैं उन बातों पर विशेष जोर दिया चाहता हूँ। प्रतिलिपि में दोप हो सकते हैं-यह हो सकता है कि कोई वाक्य कट गया हो या अर्थ और का और समझा जाय । यह सब खोदनेवाले कारीगर का काम है। यह अशोक की चौदहों प्रसिद्ध सूचनायें हैं, जिनके द्वारा उसने (१) पशुओं के वध का निषेध किया, (२) मनुष्यों और पशुओं के लिए चिकित्सा का प्रबन्ध किया, (३) पाँचवें वर्ष एक धार्मिक