पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१७२

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महान् बुद्ध सम्राट-अशोक वह मूल पाठ, जिनमें ये नाम आए हैं उद्धृत किए जाने योग्य है। 'अंतियोक नामयोन राज, परम चतेन अंतियोकेन चतुर राजनि' तुरमये नाम, अंतिकिन नाम, मकनाम, अलिकसन्दरे नाम !" ये पाँचों नाम सीरिया के एण्टिोकस, ईजिप्ट टोलेमी, मेसे-- डन के एण्टिगोनस, साइरीन के मगम और एपिरस के एलेकजेण्डर के हैं। वे सब अशोक के समकालीन थे, और अशोक ने उनके साथ सन्धि की थी, और उनकी सम्मति से उनके देशों में बौद्ध- धर्म के प्रचार के लिये उपदेशक भेजे थे। इसी सूचना में भारत- वर्प तथा उसके आस-पास के उन राज्यों के नाम भी दिए हुए हैं, जहाँ इसी प्रकार धर्मोपदेशक लोग भेजे गए थे। उपर्युक्त चौदहों सूचनाओं के सिवा जो कानून या आचार नियमों की भांति प्रकाशित की गई थीं, अशोक ने समय-समय पर अन्य सूचनाएं भी खुदवाई थीं, और उनमें से कुछ खुदे हुए लेख हम लोगों को मिले भी हैं। धौली और जौगड़ (जो कटक के दक्षिण-पश्चिम में है) की एक सूचना में तोलसी नगर के शासन के लिये दया से भरे हुए नियम लिखे हैं, सब प्रजाओं के लिये धर्माचरण की शिक्षा दी है, और पाँचवें वर्प उस धार्मिक उत्सव को करने के लिये कहा है, जिसका उल्लेख ऊपर पाया है। उसी सूचना में यह भी लिखा है कि उज्जयिनी और तक्षशिला में यह उत्सव प्रति तीसरे वर्ष होना वाहिए। धौली और जौगड़ में एक दूसरी सूचना भी प्रकाशित की गई ,