पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१७३

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बुद्ध योर बौद्ध धर्म १८६ थी, जिसमें तोसली और समापा के शासन के नियम और सीमा प्रदेश के कर्मचारियों के लिये शिक्षा है। दो सूचनाओं का अर्थात एक तो सहसराम (बनारस के दक्षिण-पूरव)की ओर, दूसरे स्पनाथ (जबलपुर के उत्तर-पूरब) की सूचनाओं का अनुवाद डॉक्टर बुहलर साहव ने किया है। उनमें धार्मिक सत्योपदेश हैं, और उनसे विदित होता है कि यह धार्मिक सम्राट ५६ धर्मोपदेशको (विवुथों) को नियत करके उन्हें चारों ओर भेज चुका था । वैराट (दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम) का शिला लेख मगध के धर्मोपदेशकों के लिये है, और उसमें अशोक ने बौद्ध त्रेकत्व अर्थात बुद्ध-धर्म और संघ में अपना विश्वास प्रकट किया है । अशोक की दूसरी रानी की एक धार्मिकसूचना इलाहाबाद में मिली है और अशोक के तीन नए शिला-लेख मैसूर में मिले हैं। अब हम गुफाओं के शिला-लेखों का वर्णन करेंगे। निम्नलिखित गुफाओं के शिलालेख मिले हैं, अर्थात गया के १६ मील उत्तर वरवर और नागार्जुनी गुफाओं के, कटक के उत्तर खण्डगिरि की गुफाओं के और मध्य प्रदेश में रामगढ़ की गुफाओं के शिलालेख । बरबर की गुफाओं के शिला-लेख में लिखा है-कि इन गुफाओं को अशोक (पियदसी) ने धार्मिक भिक्षुओं को दिया था, और नागार्जुनी की गुफाओं में लिखा है- कि इन्हें अशोक के उत्तराधिकारी राजा दशरथ ने दान किया था । खण्डगिरि और उदयगिरि की गुफाओं में से अधिकांश कलिंग (उड़ीसा) के राजाओं की दान की हुई हैं। ,