पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

महान् बुद्ध सम्राट अशोक और अन्त में हम लाटों पर खुदे हुए लेखों के विषयमें लिखेंगे । दिल्ली और इलाहाबाद की प्रसिद्ध लाटों ने सर विलियम जोन्स के समय से पुरातत्व वेत्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है। और वे उनकी चतुराई में बट्टा लगाती रही हैं। अन्त में उन्हें पहले- पहल प्रिन्सिपल साहब ने पढ़ा । दिल्ली की दोनों लाट और इला- हाबाद की लाट के सिवा, तिरहुत में लौरिया में दो लाट और भूपाल में साँची में एक लाट है। प्रायः सब लाटों में वेही छ सूचनाएँ खुदी हुई हैं, पर दिल्लीमें फीरोजशाह की लाट में दो सूचनाएँ अधिक पाई गई हैं। स्मरण रहे, ये सूचनाएँ अशोक के राज्याभिषेक के २७ वें और २८ वें वर्ष में प्रकाशित की गई थीं। उनमें इस सम्राट के राजकीय विषयों का बहुत ही कम उल्लेख है,पर उसने सदाचरण और धर्म की शिक्षाओं तथा सर्वसाधारण के हित के लिये जो कर्म किए थे, उनके वृत्तान्त से वे भरी हुई हैं। संक्षेप में इस धार्मिक सम्राट ने (१) अपने धर्म-सम्बन्धी कर्मचारियों को उत्साह और धार्मिक चिन्ता के साथ कार्य करने का उपदेश किया है। (२) दया, दान, सत्य और पवित्रता को धर्म कहा है। (३) आत्म-परीक्षा करने और पाप से बचने के लिये जोर देकर उपदेश दिया है (४) लोगों को धार्मिक शिक्षा देने का कार्य राज्जुकों को सौंपा है, और जिन लोगों को फाँसी की आज्ञा हो, उनके लिये तीन दिन की अवधी द है (५) भिन्न-भिन्न प्रकार के पशुओं के वध का निषेध किया है। (६) अपनी प्रजा पर अपना हित प्रकट किया है, और सब पन्थ