पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१८१

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म विषय में अनेक उपदेश दिये हैं, जिसमें धर्म की शीघ्र उन्नति हो। मैंने लोगों के लिए बहुत-से कर्मचारी नियत किये हैं, उनमें से प्रत्येक प्रजा की ओर अपना धर्म करने में लगा हुआ है, जिसमें वे शिक्षा का प्रचार और भलाई की उन्नति करें। इसलिए मैंने हजारों मनुष्यों पर रज्जुक लोगों को नियत किया है। और यह आज्ञा दी है कि वे धर्मयुतों को शिक्षा दें। देवताओं का प्रिय राजा पियसी इस प्रकार बोला-कंवल इसी बात के लिए मैंने लाटों पर धर्म- सम्बन्धी लेख खुदवाये हैं, बम-महामात्रों को नियत किया है, और दूर-दूर तक धर्मोपदेशों का प्रचार किया है। बड़ी सड़कों पर मैंने नये अनोध के वृक्ष लगवाये हैं, जिससे व मनुष्यों और पशुओं को छाया दें। मैंने आम के बगीचे लगवाए हैं, आधे-आध कोस पर कुएँ खुदवाय हैं, और अनेक स्थानों पर मनुष्यों और पशुओं के सुख के लिए धर्मशालाय वनवाई हैं। मेरे लिय यथार्थ प्रसन्नता की बात यह है कि पहले के राजा लोगों ने तथा मैंन अनेक अच्छे कायों से लोगों के सुख का प्रबन्ध किया है, किन्तु मैं लोगों को धर्म के पथ पर चलाने के एकमात्र उद्देश्य से अपने सब कार्य करता हूँ। मैंन धर्म महामात्रों को नियत किया है, जिसमें वे सब प्रकार से धर्म के कार्य में यत्न करें, और सब पंथ के लोगों में, सन्यासियों और गृहस्थों में यत्न करें । पुजारियों, ब्राह्मणों, सन्यासियों, निम्रन्थों और भिन्न-भिन्न पन्थ के लोगों के हित का ध्यान भी मेरे हृदय में रहा है, और उन सब लोगों में मेरे कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। महामात्र लोग अपने-अपने समाज