पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६५ महान सम्राट अशोक में कार्य करते हैं, ये तथा अन्य कर्मचारी मेरे हथियार हैं, और वे मेरे तथा रानियों के दान को चाँटते हैं, मेरे महल में वे अपने- अपने कमरों में अनेक प्रकार से कार्य करते हैं। मैं यह भी जानता हूँ, वे यहाँ तथा प्रान्तों में मेरे लड़कों के और विशेषतः राजकुमारों के दान को धर्म कार्यों के माधन और धर्म को बढ़ाने के लिए बाँटते हैं । इस प्रकार ससार में कार्य अधिक होते हैं, और धर्म के साधन दया, दान, सत्य, पवित्रता, उपकार और भलाई की उन्नति होती है। भलाई के अनेक कार्य, जिन्हें मैं करता हूँ, उदाहरण की भांति हैं । उनको देखकर सम्बन्धियों और गुरुओं की आज्ञा-पालन में, वृद्धां के लिए दया-भाव रखने में, ब्राह्मणां और धामनों का सत्कार करने में, ग़रीब दुखियां, नौकरों और गुलामों का आदर करने में, लोगों ने उन्नति की है, और करेंगे। मनुष्यों में धर्म की उन्नति दो प्रकार से हो सकती है। स्थिर नियमों द्वारा और उन लोगों के धर्म के विचारों को उत्तेजित करने के द्वारा । इन दोनों मार्गों में कठोर नियमों का रखना ठीक नहीं है, केवल हृदय के उत्तेजित करने ही का सबसे अच्छा प्रभाव होता है। दृढ़ नियग मेरी आज्ञाएँ हैं, यथा मैं विशेष पशुओं के षध का निषेध करूँ, और कोई धार्मिक नियम बनाऊँ, जैसा मैंने किया भी है। परन्तु कंवल हृदय के विचारों के परिवर्तन से ही जीवों के ऊपर दया और प्राणियों को वध न करने से विचार में धर्म की सच्ची उन्नति होती है। इसी उद्देश्य से मैंने यह लेख प्रकाशित किया है कि वह मेरे पुत्रों और पौत्रों के समय तक