बुद्ध और बौद्ध-धर्म १६८ शासन अशोक पूर्णाधिकार प्राप्त सम्राट् थे। सर्वोत्तम अधिकारियों को नियुक्त करना, सेना संगठित करना, युद्ध और सन्धि करना, प्रजा से कर ग्रहण करना, न्याय करना, कोप का व्यय करना, नियम-विधान बनाना आदि से वह पूर्ण स्वच्छन्द थे । खेद है, अशोक के मन्त्रियों के नाम नहीं मिलते, परन्तु अपने राजकार्यों का उसने छठे शिलालेख में उल्लेख किया है। सेना अशोक की सेना में ८० हजार सवार,६ लाख पैदल, ८हजार स्थ और ६ हजार हाथी थे। प्रत्येक रथ में चार या दो घोड़े जुड़ते थे। चार घोड़ेवाले रथ पर दो सारथी. दो धनुर्धारी और दो डाल- बार होते थे। प्रत्येक हाथी पर महावत के सिवा तीन धनुर्धर रहते थे। इस प्रकार नौकर-चाकरों को छोड़कर इस सेना में सात लाख के लगभग मनुष्य थे। नौकर-चाकर, साईस, बाजेवाले आदि सब मिलाकर यह संख्या का जाख तक पहुँच जाती है । प्रधान शस्त्र वाण था, पैदलों के पास तलवारें भी थीं। पर वे प्रायः तीर- धनुष रखते थे। यूनानियों ने लिखा है कि इन लोहे के तीरों से कवच भी रक्षा नहीं कर सकता । सवारों के पाम भाले होते थे। यह सेना ३० सदस्यों की समिति के अधीन थी। उस धर्म- समिति के अधीन ५-५ सदस्यों की ६ उप-समितियाँ थीं, जिनमें एक नाविक सेना की उपसमिति थी। दूसरी बारबरदारी, रसद 1
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