२०३ महान् बुद्ध सग्राट-अशोक , व्यापार का निरीक्षण करती थी। पाँचवीं तैयार माल जैसे कपड़ा, गहना आदि का निरीक्षण और छटी चुंगी वसूल करती थी। ग्राम-शासन ग्राम-शासन ग्राम-पंचायतों के आधीन था, जिन्हें बड़े अधि- कार थे । स्थानीय पुलिस, छोटे-छोटे अभियोगों का न्याय, आस- पास की सड़क सुधारना उसी का काम था। इन पंचायतों के सदस्यों का चुनाव गाँव के गृहस्थ करते थे। अशोक के समय में प्रजा की दशा यह बात पीछे वता दी गई है कि मौर्य साम्राज्यःकाल में प्रजा की दशा कैसी थी ब्राह्मणों के यज्ञाडम्बर ने कितनी कुचाल ग्रहण की थी। सामाजिक नियन्ता और कर्मकाण्ड की प्रधानता थी। जहाँ ब्राह्मण-क्षत्रिय इस कर्मकाण्ड के पारवण्ड में फंसे थे, वहाँ सामान्य प्रजा में भांति-भांति के अन्ध-विश्वास फैले हुए थे, और इन अन्ध-विश्वासों के मूल स्तंभ तत्कालीन कुपढ़ ब्राह्मण थे, जो अपने जाति-गर्व के कारण कोई उद्योग तो कर ही न सकते थे, योग्य भी न थे, अतः धूर्तता, पाखण्ड और ठगविद्या से प्रजा की मूढ़ता बढ़ा रहे थे। चौद्ध-ग्रन्थों में इन ब्राह्मणों का बड़ा स्पष्ट वर्णन मिलता है । वहाँ इन्हें पूरा लोभी और पाखण्डी बताया गया है। उन ग्रन्थों में ऐसे कामों की सूची भी दी गई है, जो ये ब्राह्मण लोग किया करते थे । उनमें से कुछ ये हैं सामुद्रिक, फलित ज्योतिप, स्पष्ट विचार, चूहों के काटे हुए कपड़ों से भविष्य-फल
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