पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/२३९

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म २५२ का घेरा १२०० मील था, उसका वर्णन करने के बाद उसने गंगा के उद्गम स्थान मायापुरी (हरिद्वार ) का वर्णन किया है। वह लिखता है-"इस नगर का घेरा ४ मील है। नगर से थोड़ी ही दूर पर गंगा के तट पर एक विशाल मन्दिर है, जहाँ अनेकों चमत्कार किये जाते हैं। उसके बीच में एक तालाब है, जिसके तट कारीगरी के साथ पत्थर के बने हैं । उसमें से गंगा एक नहर के द्वारा बहाई गई है, पजाब के लोग उसे 'गंगा द्वार' कहते हैं। गंगा को लोग असंख्य पाप धोनेवाली मानते हैं। यहाँ हमेशा हजारों लोग दूर-दूर से जल-स्नान करने के लिये आते हैं। इस उद्धरण से स्पष्ट पतीत होता है कि हरिद्वार सातवीं शताब्दि में ही हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ बन गया था। हुएनत्संग हिमालय के नीचे के देश ब्रह्मपुर का वर्णन करता है कि-"वहां सोना बहुत मात्रा में निकलता है। वहाँ बहुत काल तक लियाँ ही शासन करती रही हैं इसलिए वह स्त्रियों का राज्य कहलाता है। शासक स्त्री का पति राजा कहलाता है। पर वह राज-काज के विषय में कुछ नहीं जानता । पुरुष केवल युद्ध का प्रबन्ध करते और भूमि जोतते हैं। यह वर्णन निस्सन्देह हिमालय के नीचे के देशों की पहाड़ी जातियों का है। इन लोगों में अब तक भी एक स्त्री का अनेक पतियों के साथ विवाह करने की रीति प्रचलित है। अन्य कई देशों में होता हुआ हुएनत्संग कान्यकुब्ज में पाया, जिसे दो हजार वर्ष की सभ्यता का सत्कार प्राप्त था। क्योंकि जब