पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/२४१

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म छोटे भाई हर्षवर्धन को शीलादित्य के नाम से गद्दी पर बैठाया।" हुएनत्संग इस शीलादित्य से मिला और उसने इसका बड़ा,आदर सत्कार किया। यह शीलादित्य द्वितीय था। शीलादित्य प्रथम हुएनत्संग के ६० वर्ष पूर्व हुआ था। शीलादित्य द्वितीय ने ६१० से ६५० तक राज्य किया। शीलादित्य द्वितीय एक वलशाली राजा था । उसने ५००० हाथियों २००० घुड़सवारों और ५०००० पैदल सिपाहियों की सेना एकत्रित की और छः वर्षों के अन्दर उसने सारे पंजाब को अपने आधीन कर लिया । वह बोद्ध धर्मावलम्बी था । उसने अनेकों स्तृप, संधाराम, दान शालायें, चिकित्सालय बनवाये और वह हर पाँचवें वर्ष बौद्धों के धार्मिक त्यौहार पर एक बड़ा भारी जन-समूह एकत्रित करता था और बहुत दान देता था। हुएनत्संग जब नालन्द में कामरूप के राजा के साथ एक संघाराम में ठहरा हुआ था, तब शीलादित्य ने राजा से यह कहला भेजा-"मैं चाहता हूँ, तुम उन विदेशी श्रमण के साथ जो कि नालन्द के संघाराम में आपके अतिथि हैं, इस समूह में तुरन्त श्राओ!" हुएनत्संग कामरूप के राजा के साथ शीलादित्य के पास गया। शीलादित्य ने उससे उसके देश के विषय में बहुत-से प्रश्न पूछे और उसके दिये हुए उत्तरों से बहुत खुश हुा । शीलादित्य ने उस समूह को एकत्रित करके लाखों मनुष्यों के साथ गंगा के दक्षिणी किनारे से और कामरूप के राजा ने गंगा के उत्तरी किनारे से यात्रा की और वे लोग दिन में कान्यकुञ्ज पहुँचे। तब बीस