बुद्ध और बौद्ध-धर्म २७२ ऊँचा बिहार है, उसके बीच में पत्थर की ७० फीट ऊँची एक बुद्ध की मूर्ति है। इसके ऊपर सात मंजिलका एक पत्थर का चॅदोवा था, जो देखने में निराधार दिखता था । महाराष्ट्र के पश्चिम में या उत्तर-पश्चिम में एक मरुकच्छ का देश था। इसका घेरा ५० मील का था । यहाँ की भूमि उसर थी, अतः समुद्री मार्ग से ही यहां अन्न पहुँचता था। फिर हुएनत्संग ने मालवे के प्राचीन देश का वृत्तान्त लिखा है-"यह देश विद्या क लिये प्रसिद्ध है। यहां के ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखा हुआ है कि मेरे ( हुएनत्संग के ) ६० वर्ष पहले यहां का राजा शीलादित्य था। यह प्रथम शीलादित्य था, जिसने ५५० ई० से ६.० ई० तक राज्य किया। यह सम्भवतः प्रतापी विक्रमादित्य का उत्तराधिकारी था जिस शीलादित्य को हुएनत्संग ने कन्नौज में देखा था, वह शीलादित्य द्वितीय था। इसने ६१० से ६५० ई० तक राज्य किया। हुएनत्संग के समय मालवे में सौ संघाराम और सौ ही मन्दिर थे। तब हुएनत्संग अटाली और कच्छ होता हुआ वल्लभी में आया, जहां एक सौ से भी ज्यादा करोड़पति थे। फिर वह सौराष्ट्र, गुजरात, सिन्ध और मुलतान में गया और वहां से फिर उसने अपने देश को प्रस्थान किया। अब हम हुएनत्संगकी डायरी के कुछ अंशों को यहाँ पर देंगे, जिनसे कि तत्कालीन राज्य-प्रणाली और लोगों के प्राचार-व्यवहार पर अच्छा प्रकाश पड़ता है-
पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/२५९
दिखावट